FILM REVIEW : ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ में तीनों ही हैं खास....





डायरेक्टर : लव रंजन
कास्ट: कार्तिक आर्यन, नुसरत भरूचा, सनी सिंह, आलोक नाथ, दीपिका अमीन, विरेंद्र सक्सेना और आएशा रजा।
रेटिंग: 3 (तीन स्टार)

शादियों का सीजन चल रहा है। बात जब किसी शादी की आती है और खासकर वो भी अपने किसी भाई-बहन की तो, मन आनंदित हो जाता है, मन में बहुत-सी योजनाएं आने लगती हैं। शादियों के इसी सीजन में शादी के माहौल में आनंद लेना चाहते हैं, तो लव रंजन की कॉमेडी फिल्म ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ आपको उसकी माहौल में रमा सकती है, जैसा आप सोचते हैं। डाॅयरेक्टर लव रंजन की तीसरी फिल्म के बाद अब ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ फिल्म लेकर आए हैं। इस दर्शकों के लिए रंजन ने विवाह की कहानी के साथ ही काॅमेडी और मनोरंजन का भरपूर मसाला परोसा है।



आते हैं अब फिल्म की कहानी पर

फिल्म की शुरुआत होती है-दो दोस्तों से, जो बचपन से ही पक्के फ्रैंड्स हैं। कहानी में सोनू (कार्तिक आर्यन) और टीटू (सनी सिंह) के माता-पिता अच्छे दोस्त होते हैं, लेकिन सोनू की मम्मी की मौत हो जाती है, जिसके बाद उसके पिता विदेश में चले जाते हैं और सोनू अपने दोस्त टीटू के साथ उसके घर रहकर बड़ा होता है। सोनू का दोस्त टीटू बहुत सीधा और ईमानदार है, वहीं सोनू थोड़ा तेज और स्मार्ट है और वह अपने दोस्त को गलत लड़कियों के जाल में फंसने से बचाता है। सोनू, टीटू की गर्लफ्रेंड से उसका ब्रेकअप करा चुका होता है और शादी करने की सलाह देता है। टीटू उसकी बात मान भी लेता है। अब एंट्री होती है स्वीटी (नुसरत भरूचा) की यानी सोनू के टीटू की स्वीटी की। स्वीटी एक दम भारतीय नारी की तरह दिखती है। वह टीटू और उसके घरवालों का दिल जीत लेती है। लेकिन टूविस्ट तब आता है, जब सोनू को स्वीटी इतना परफेक्ट होने के बावजूद भी सही नहीं लगती। अब सोनू उस पर नजर रखता है। वह बहुत प्रयास करता है, लेकिन वह असफल होता है और टीटू की स्वीटी से सगाई हो जाती है, जिसके बाद स्वीटी अपनी असलीयत सोनू का बताती है, फिर यहीं से शुरू होती है, ब्रोमांस और रोमांस के बीच की लड़ाई। सोनू अपने दोस्त टीटू की शादी स्वीटी से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करता है।

टीटू के दादा परिवार के बड़े घसीटा राम (आलोक नाथ) और लालू नाना (वीरेंद्र सक्सेना) से सबकुछ बताता है, लेकिन वे सब भी टीटू की शादी के दिन तक असफल रहते हैं। शादी से पहले स्वीटी सोनू को चैलेंज करती है और कहती है कि शायद तुम नहीं जानते कि दोस्ती में जीत हमेशा एक लड़की की होती है। पर सोनू हार नहीं मानता और वरमाला के दिन वह स्टेज पर टीटू का हाथ पकड़ लेता है और सोनू कहता है आज या तो मैं हूं या फिर स्वीटी। यहीं पूरी कहानी का अंत होता है।








कहानी में कुछ चीजें बहुत अटपटी सी लगती हैं, कि सुंदर स्वीटी क्यों इतनी लालची है, लेकिन पूरी संस्कारवान भी। फिर भी वह क्यों टीटू के परिवार को बिखेरने की नियत रखती है, यह सब बहुत अजीब लगता है। दो परिवारों का मिलन वो भी अच्छे खासे पढ़े-लिखे परिवार, लेकिन स्वीटी का यह लालची व्यवहार दिखाना, क्या सिर्फ यही लव रंजन ने दिखाया है? यह भी तो हो सकता था कि आपसी बातचीत के द्वारा और आपसी समझ से भी रास्ते निकाले जा सकते थे, लेकिन ट्वीस्ट कैसे बनता।





फिल्म में अभिनय की बात करें तो कार्तिक आर्यन और नुसरत भरूचा अपने अभिनय में खरे उतरे हैं, तो सनी कुछ फरफेक्ट नहीं दिखते, उन्हें और सीखने की जरूरत है। सबसे खास अभिनय है आलोकनाथ का और वीरेंद्र सक्सेना का, जो अपनी लाईफ में मस्त हैं। फिल्म का पूरा परिदृश्य रंग-बिरंगा है। गानों की अगर बात करें तो, शादी के मौसम में रमे यह गाने लोगों को लुभा रहे हैं। विशेषकर ‘दिल चोरी साडा हो गया’ और ‘छोटे-छोटे पैग’ दोनों गाने हनी सिंह ने गाए हैं। वहीं दूसरी तरफ ‘बम डिगी बम-बम’ पंजाबी गाना भी आकर्षित करता है। ‘सुबह-सुबह’ गाना भी लोगों को खूब पसंद आ रहा है। लव रंजन ने यह बहुत समझदारी से काम लिया है, उनका यही रीमिक्स गानों का पुराना स्टाईल लोगों का भाग गया है।

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